Foreign Media on India

 विदेशी मीडिया में क्या छप रहा भारत के बारे में ?


वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते साल खालिस्तान समर्थक नेता और अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम कोशिश में भारत की खुफ़िया एजेंसी रॉ शमिल थी. भारत ने ‘निराधार’ बताया है. 

बयान में कहा गया, “संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है. इसे लेकर अटकलें लगाना और ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा.”

वाशिंगटन पोस्ट में क्या है ?

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीते साल 22 जून को अमेरिका के व्हाइट हाउस में पीएम मोदी का स्वागत किया जा रहा था, उस समय भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के एक अधिकारी अमेरिका में किराये के हत्यारों को खालिस्तान समर्थक नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या करने के निर्देश दे रहे थे.

कुछ अधिकारियों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि यादव ने पन्नू के न्यूयॉर्क स्थित आवास के बारे में जानकारी सुपारी लेने वालों को दी थी. कहा गया था कि जैसे ही अमेरिकी नागरिक पन्नू अपने घर पर होंगे –“हमारी तरफ़ से काम को आगे बढ़ाने का आदेश मिल जाएगा.”

अमेरिका से पहले 18 जून को कनाडा के वैंकूवर के पास हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या की गई थी. इस ऑपरेशन में भी भारत का हाथ होने के आरोप लगे थे जिसका भारत ने खंडन किया था. 

साथ ही अख़बार का कहना है कि पाकिस्तान में भी कम से कम 11 ऐसे सिख और कश्मीरी अलगाववादी नेता मारे गए थे,  जिन्हें मोदी सरकार ने 'आतंकवादी' घोषित किया था.

विदेशी मीडिया के अनुसार अमेरिका में पन्नू की हत्या की कोशिश हुई थी,
किन्तु ये पन्नू है कौन ?

पन्नू का पूरा नाम गुरपतवंत सिंह पन्नू 'सिख फ़ॉर जस्टिस' के संस्थापक और वकील हैं.यह संगठन ख़ुद को मानवाधिकार संगठन बताता है, लेकिन भारत इसे ‘आतंकवादी’ संगठन घोषित कर चुका है.
भारत के गृह मंत्रालय का कहना है कि पन्नू सीमा पार और विदेशी धरती से आतंकवाद की विभिन्न घटनाओं में शामिल हैं
पन्नू ने खालिस्तान की माँग को आगे बढ़ाने के लिए पन्नू ने ‘रेफरेंडम-2020’ अभियान शुरू किया था.
इसके तहत पंजाब और दुनिया भर में रहने वाले सिखों को ऑनलाइन वोट करने के लिए कहा गया था, लेकिन वोटिंग से पहले ही भारत सरकार ने 40 वेबसाइटों को खालिस्तान समर्थक बताकर उन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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